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करीब एक दशक की शानदार विकास यात्रा के बावजूद भारत के सभी राज्यों में कुपोषण चरम पर है। देश का एक भी राज्य ऐसा नहीं है,जो कुपोषण से मुक्त होने के पैमाने के करीब भी फटकता हो। कुपोषण को लेकर अभी हाल ही में एक वैश्विक संस्था ने जारी की गई अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत में महिलाओं और बच्चों एक-तिहाई आबादी कु पोषित है। यह राष्टï्रीय नीति निर्माताओं के लिए चिन्ता और शर्म की बात है। सभी राज्यों को इसे चुनौती के रूप में लेने की आवश्यकता है। वैसे देश के अन्य राज्य कुपोषण की समस्या से किस तरह से लड़ेगें,यह तो वही जाने लेकिन उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने राज्य को कुपोषण मुक्त करने की दिशा में एक व्यावहारिक कदम उठाया है। जिसके तहत प्रत्येक जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी दो-दो ऐसे गांव गोद लेंगे जो अति कुपोषित हों। इन गांवों के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं। इन योजनाओं पर तब तक अमल होता रहेगा जब तक सम्बन्धित गांव पूरी तरह से कुपोषण मुक्त नहीं हो जाता। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कुछ दिन पूर्व ही राज्य पोषण मिशन की शुरूआत की है। इस मिशन मेें मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए विशेष जोर दिया गया है। मृत्यु दर में वृद्धि के लिए जिम्मेदार अनेक कारणें में एक सबसे बड़ा कारण कुपोषण है। इसलिए कुपोषण से बचाने के लिए ही राज्य सरकार ने एक विशेष अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत चयनित गांव के पांच वर्ष तक के सभी बच्चों का वजन लिया जायेगा। इसके अलावा बालक और बालिकाओं की संख्या का आँकड़ा तैयार कर कुपोषित बच्चों की सूची बनाई जायेगी और परिवार की आर्थिक स्थिति का विवरण भी दर्ज किया जायेगा। वैसे देखने में तो यह योजना काफी आकर्षक लग रही है। लेकिन यह सफल तभी होगी जब योजना पर खर्च होने वाले धन का वास्तविक लाभ पात्रों को मिले। जिसके लिए एक मजबूत निगरानी तन्त्र स्थापित किये जाने की जरूरत है। इसके अलावा योजना का क्रियान्वयन पारदर्शी ढंग से होना चाहिए। यह सब इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे पूर्व में कुपोषित महिलाओं एवं बच्चों के लिए चलायी जा रही विभिन्न योजनाएं भ्रष्टïाचार का शिकार हो चुकी है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि आंगनवाड़ी केन्द्रों को आपूर्ति किये जाने वाला बालपुष्टïाहार किस तरह खुले बाजार में बेचा जा रहा है। इसी तरह परिषदीय स्कूलों के बच्चों को भी मिड-डे मील योजना के तहत मानक के हिसाब से भोजन नहीं दिया जा रहा है। खैर,जो भी हो यदि अखिलेश सरकार इस योजना को भ्रष्टïाचार की काली छाया से बचाने में सफल रही तो कोई बजह नहीं जो प्रदेश को कुपोषण मुक्त न किया जा सके।
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